Message From Director
सम्माननीय
दर्शक - पाठक भाई -बहनों और सम्माननीय अभिभावक बंधुओं ,
मुझे यहां अपना संदेश प्रस्तुत कर बहुत खुशी है कि हम सभी अपने बच्चों के जीवन को सुशिक्षा , सुसंस्कृतिकरण का अवसर प्रदान कर समाज के भविष्य को सुन्दर -समृद्ध -शान्तिप्रिय बनाने हेतु प्रयासरत हैं ।
____"सात्त्विक - सुज्ञानमय मन से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है ।" इसी विचार को विकसित - पल्लवित करने के लिए हमने सांई विनायक पब्लिक स्कूल की स्थापना उमरकोट में की है । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए हम किसी भी गतिविधि की नींव रखते हैं।
अक्सर हम से कई लोग शिक्षा को बेहतरीन अकादमिक रिकॉर्ड , बेहतर विज्ञापन- प्रचार , बेहतर या सुविधायुक्त भवन-परिसर से भ्रमित कर देते हैं और यह मानने लगते हैं कि अगर हमारे बच्चों का यदि शिक्षा के क्षेत्र मे उत्कृष्ट प्रदर्शन होगा तो महंगी शिक्षा, बड़े शहरों -कस्बों के सर्व सुविधायुक्त विद्यालयों से ही हो सकता है, तो हम अपने आप में कहीं न कहीं अस्पष्ट हैं । हमारे अनेक महापुरुषों और वर्तमान में भी देश-प्रदेश की सिविल सेवा परीक्षाओं के अनेक टापर्स , सामान्य विद्यालयों के टापर्स के परिणामों से इस धारणा को बल नहीं मिलता । इसलिए हमें चकाचौंध, दिखावे और फैशन की मानसिकता से बचना चाहिए ।
मुख्य चीज़ है - देखना-समझना और पढना - समझना । साथ ही महत्वपूर्ण है भीतरी मन -मस्तिष्क की पवित्रता-परिपक्वता, और जीवन - व्यवहार कौशल ।
अर्थात् हमें यह समझने की जरूरत है कि जीवन कौशल का विकास उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना किताबी ज्ञान । क्योंकि यह न केवल अच्छा जीवन जीने में मदद करता है बल्कि बेहतर इंसान बनने में भी मदद करता है और ये सिर्फ मंहगे दामों पर ही हासिल नहीं होते ।
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श्रेष्ठ तरीके से शिक्षा प्रदान करने के लिए हमारे विद्यालय में सुशिक्षित, समर्पित और अनुभवी अध्यापकों की टीम है ।
यहां पर्याप्त बुनियादी ढाँचा और वे आवश्यक सुविधाएँ हैं जो एक बच्चे के समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं । यहां शांत, प्राकृतिक व सुरक्षित वातावरण में विद्यार्थियों हेतु उत्तम और आधुनिक शिक्षण प्रथाओं के माध्यम से सीखने का, खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियों का अवसर सुलभ है ।
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किसी दार्शनिक और शिक्षाविद ने बहुत सही कहा है कि - "एक अच्छा विद्यालय बालक-बालिकाओं को सुशिक्षा से सुशोभित करता है और एक सुशिक्षित बालक-बालिका एक स्वतंत्र नेतृत्व, प्रभावशाली विचारक और व्यक्तित्व का धनी बनता है ।"
अतः "यह सर्वोत्तम है कि बच्चों में पढ़ने के कौशल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि वे बेहतर वक्ता, स्वायत्त शिक्षार्थी , विश्लेषण बुद्धियुक्त, आलोचनात्मक और रचनात्मक विचारक और साथ ही एक आदर्श व्यक्तित्व बन सकें।"
शास्त्रों का सार है - पवित्र उद्देश्य के लिये किये गए हर प्रयास को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
आप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद और सादर आभार कि आपने हमेशा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से सदैव हमारा मार्गदर्शन, सहयोग और उत्साहवर्धन किया है ।
फिर भी पुनः आप सभी अभिभावकों, पाठक भाई- बहनों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और सभी शुभचिंतकों से विनम्र अनुरोध है कि हमारे हौंसले को हिम्मत दें , विद्यालय स्टाफ - प्रबंधन को सहयोग दें, सद्भावना और सुविश्वास रखें ताकि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों बच्चों के कोमल मन को आदर्श आकार दिया जा सके और उनके बेहतर भविष्य बनाने के पुनीत कार्य में हम अपनी भूमिका अच्छे-से निभा सकें ।
___ कृष्णा परमार ,
संचालक, सां. वि. प. स्कू